Satnarayan Bhagwan ki Puja kyon jaruri hai | Best Puja| 2022

Satnarayan Bhagwan ki Puja Kaise Krte hai

हिंदी पंचाग के अनुसार, हर पूर्णमासी को सत्यनारायण की पूजा-उपासना की जाती है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी के नारायण रूप की पूजा की जाती है। वहीं गुरुवार के दिन के कारक देव होने के कारण इस पूजा को गुरुवार के दिन भी कई भक्त करते हैं।सनातन धर्मावलंबियों में सत्यनारायण व्रत कथा सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में मानी जाती है। मान्यता के अनुसार यह भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कथा है। वैसे तो भगवान विष्णु की पूजा कई रूपों में की जाती है, लेकिन उनमें से उनका सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। जो व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और मरणोपरांत परलोक जाना चाहता है। उसे सत्यनारायण पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया। तब भगवान श्रीहरि विष्णु जी बोले- इसे करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए satnarayan bhagwan ki Puja karne se tamam dukhon se mukati pa sakte hain. Sukh samriddhi  ka aagman hota hai,sakaratmak urja ka sanchar hota hai,man shant hota h.

Samagrhi:-

धूपबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत, रोली, चावल, हल्दी, कलावा, रुई, सुपारी, 5 नग पान के पत्ते,आम के पत्‍ते, खुले फूल 500 ग्राम, फूलमाला, कुशा व दूर्वा, पंचमेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, मिष्ठान्न, चौकी, आसन, केले के पत्ते, पंचामृत( दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है जो भगवान को अत्यंत प्रिय है।), तुलसी दल, कलश (तांबे या मिट्टी का), सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल या पीला कपड़ा (आधा मीटर), दीपक 3 नग ( 1 बड़ा+2 छोटे ), ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), नारियल, दूर्वा आदि सामग्री ।अब पूजन के लिए बड़ी सी चौकी या पटा पर भगवान सत्यनारायण की फोटों या मूर्ति पीला या लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दें । आसन के दाहिने ओर दीपक एवं बाई ओर बड़ा दीपक घी का स्थापित कर दें । आसन के बीच में नवग्रहों की स्थापना करें । अब स्वयं भी भगवान के आसन के ठीक सामने कुशा का आसन बिछाकर बैठ जायें.

Satnarayan Bhagwan ki Puja kaise karen aur karne ka niyam:-

Kathao ke anusar shrihari Vishnu jheer Sagar ke kinare vishram kar rahe the tab vahan narad ji ka aagman hota hai or नारद जी बोले-नारायण नारायण प्रभु! आप तो पालनहार हैं। सर्वज्ञाता हैं। प्रभु-मुझे ऐसी कोई लघु उपाय बताएं, जिसे करने से पृथ्वीवासियों का कल्याण हो।इस पर भगवान श्रीहरि विष्णु बोले- हे देवर्षि! जो व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और Marne ke Baad parlok jana chahta hai unhe  satyanarayan Puja  awasiya karni chahiye.इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया।

संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए।श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है.इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 

  • घर के ब्रह्म स्थान पर केले के पौधों से मंडप बनाएं.
  • – भगवान सत्यनारायण के विग्रह या चित्र की स्थापना करें. Gangajal ka chidkav karke samagri ko shuddh kar le
  • – कलश और दीपक की भी स्थापना करें.
  • – पहले गौरी गणेश और नवग्रहों का पूजन करें.
  • – इसके बाद सत्यनारायण भगवान् की पूजा करें.
  • – उन्हें फल, पंचामृत, पंजीरी, वस्त्र और तुलसी दल जरूर अर्पित करें.
  • – फिर उनकी व्रत कथा कहें या सुनें और आरती करें.
  • – इसके बाद फल और प्रसाद बांटें.

Satnarayan bhagwan ki aarti:-

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे ।

नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।

बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।

सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो ।

श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।

धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे ।

तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा

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